पूर्वोत्तर में स्थित मेघालय को आजादी के बाद पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज मिला है. Meghalaya के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा ने राज्य के पहले सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज ‘शिलांग गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ का उद्घाटन किया. ये प्रोजेक्ट राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (RUSA) द्वारा शुरू की गई थी. इंजीनियरिंग कॉलेज को तैयार करने में कुल मिलाकर 26 करोड़ रुपये का खर्चा आया है. इसका निर्माण मेघालय की राजधानी शिलांग से सटे मवलाई क्षेत्र में किया गया है. इंजीनियरिंग कॉलेज बनने के बाद अब स्टूडेंट्स को दूर जाकर पढ़ाई नहीं करनी होगी.
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में भले ही आईआईटी गुवाहाटी जैसा प्रतिष्ठित संस्थान मौजूद है. लेकिन जब बात इससे इतर किसी बेहतरीन सरकारी कॉलेज की आती है, तो संख्या बेहद कम है. ऐसे में माना जा रहा है कि शिलांग इंजीनियरिंग कॉलेज से इस दिशा में स्थिति सुधरेगी.
दरअसल, ‘शिलांग गवर्नमेंट कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ मेघालय का पहला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज इसलिए है, क्योंकि मेघालय 21 जनवरी, 1972 को पूर्ण राज्य बना. इससे पहले वह असम का हिस्सा होता था और असम में पहले से ही ‘असम इंजीनियरिंग कॉलेज’ मौजूद था, जिसकी स्थापना 1955 में की गई थी. ऐसे में लगभग 50 साल बाद इस राज्य को पहला इंजीनियरिंग कॉलेज मिला है.
मुख्यमंत्री संगमा ने अपने संबोधन में कहा कि उनकी सरकार का ध्यान पिछले पांच सालों से युवाओं पर रहा है. इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार की तरफ से कई सारे कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने सर्वे किया है और 90,000 से ज्यादा युवाओं के साथ बातचीत की है. इसके बाद उनकी क्षमता को दिशा देने के लिए एक रोड मैप तैयार किया है. उन्होंने आगे बताया कि सरकार द्वारा शुरू किए जा रहे आंत्रप्रेन्योरशिप, स्पोर्ट्स और म्यूजिक से संबंधित विभिन्न प्रोग्राम ऐसी स्टडीज से तैयार किए गए हैं.
मुख्यमंत्री ने कहा, ‘युवा हमारे पास मौजूद हमारी पूंजी और शक्ति है. अगर हम उनकी क्षमता का सही ढंग से इस्तेमाल करते हैं, हम इस बात को सुनिश्चित कर सकते हैं कि मेघालय देश का सबसे बेहतरीन राज्य बनकर उभरेगा. युवा हमारे राज्य के भविष्य को आगे ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे
उन्होंने कहा, ‘यदि हम 20 साल की उम्र में शिक्षा को बढ़ाने की योजना बनाते हैं, तो हम सर्वश्रेष्ठ प्राप्त नहीं कर पाएंगे, इसलिए, सरकार ने ऐसे कार्यक्रम शुरू किए हैं जो एक व्यवस्थित तरीके से बच्चे के उचित पोषण और प्रारंभिक शिक्षा को सुनिश्चित करते हैं.’
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