अमित शाह ने राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का प्रारूप तैयार करने के लिए आज एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की

अमित शाह ने राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का प्रारूप तैयार करने के लिए आज एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राष्‍ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का प्रारूप तैयार करने के लिए आज एक राष्ट्रीय समिति के गठन की घोषणा की। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के दूरदर्शी नेतृत्‍व में ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करने के लिए नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति बनाई जा रही है। पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री श्री सुरेश प्रभाकर प्रभु की अध्‍यक्षता में गठित इस समिति में देश के सभी हिस्‍सों से 47 सदस्यों को शामिल किया गया है। समिति में सहकारी क्षेत्र के विशेषज्ञ; राष्‍ट्रीय/राज्‍य/जिला व प्राथमिक सहकारी समितियों के प्रतिनिधि; राज्‍यों/केंद्र शासित प्रदेशों के सचिव (सहकारिता) और सहकारी समितियों के पंजीयक तथा केन्‍द्रीय मंत्रालयों/विभागों के अधिकारी शामिल हैं।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने हाल ही में घोषणा की थी कि पैक्स (PACS) से ऊपर की सहकारी संस्थाओं के लिए एक समग्र दृष्टिकोण बनाने के लिए जल्द ही एक राष्ट्रीय सहकारिता नीति तैयार की जाएगी।

मौजूदा राष्ट्रीय सहकारिता नीति, सहकारी समितियों के चहुँमुखी विकास और उन्हे आवश्यक सहयोग देने, प्रोत्साहित करने और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में लागू की गई थी ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सहकारी समितियां एक स्वायत्त, आत्मनिर्भर और लोकतांत्रिक रूप से प्रबंधित संस्थाओं के तौर पर कार्य कर सकें जो अपने सदस्यों के प्रति उत्तरदायी हों और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान कर सकें। आज भारत में लगभग 8.5 लाख सहकारी समितियां हैं जो करीब 29 करोड़ सदस्यों के साथ पूरे देशभर में फैली हैं। ये सहकारी समितियां कृषि प्रसंस्करण, डेयरी, मत्स्यपालन, आवासन, बुनाई, ऋण और विपणन समेत विविध कार्यकलापों में सक्रिय हैं।

नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति दस्‍तावेज का निर्माण नए सहकारिता मंत्रालय को दिये गए अधिदेश (Mandate) को पूरा करने की दृष्टि से किया जा रहा है। जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ, ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्पना को साकार करना; देश में सहकारी आंदोलन को सशक्तश बनाना और जमीनी स्तर पर इसकी पहुंच को मजबूत करना; सहकारिता आधारित आर्थिक विकास मॉडल का संवर्धन करना और सहकारिता क्षेत्र को उसकी क्षमता हासिल करने में सहायक नीतिगत, कानूनी व संस्थागत अवसंरचना का निर्माण करना है। नई नीति देश में सहकारिता आंदोलन को और सशक्त बनाने में काफी मददगार साबित होगी।

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