
विवेक अग्निहोत्री ने मंगलवार को ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर करते हुए बयान जारी किया। निर्देशक ने कहा, "आपराधिक अवमानना मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय में कल के केस पर मेरा बयान। जिस तरह से कुछ पक्षपाती मीडिया और राजनीतिक दलों द्वारा मेरे खिलाफ खबर पेश की गई वो पूरी तरह से गलत है।" इसके साथ ही विवेक ने दो पन्नों का बयान जारी किया।
विवेक अग्निहोत्री ने पोस्ट में अवमानना मामले की पूरा कहानी बताई। विवेक ने कहा कि साल 2018 में उड़ीसा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मुरलीधर के खिलाफ उन्होंने जिनका पोस्ट अपने अपने ट्विटर पर शेयर किया था, कोर्ट की नोटिस के बाद उन्होंने ओरिजिनल पोस्ट को हटा लिया और बाद मेंमाफी भी मांग ली। ऐसे में पूरे मामले में विवेक को खुद भी पीछे हटना पड़ा और 10 अप्रैल को उन्होंने कोर्ट में जाकर बिना शर्त माफी मांग ली। इसके साथ ही कोर्ट ने उनके केस को रद्द भी कर दिया।
विवेक ने आगे ये भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका के लिए उनके मन में अत्यंत सम्मान है और वो कभी भी ऐसा कुछ भी नहीं कहेंगे या लिखेंगे जो निराधार हो और जो हमारी न्यायपालिका की पवित्रता के खिलाफ हो, जो हमारे राष्ट्र के स्तंभों में से एक है।
विवेक ने अपने खिलाफ फर्जी खबरें दिखाने वाले मीडिया हाउस पर निशाना साधते हुए बयान में आगे कहा, “किसी व्यक्ति को कानूनी मामलों में उलझाना, फर्जी खबरों के माध्यम से उन्हें बदनाम करना, हर समय प्रतिक्रिया करने में उनका समय बर्बाद करना, ताकि उनका ध्यान उनके काम से भटकाया जा सके, हमारे लोकतंत्र में आम बात नहीं है।"
विवेक अग्निहोत्री ने अपनी विवादित फिल्म द कश्मीर फाइल्स के बाद उन्हें लगातार परेशान किए जाने का भी खुलासा किया। उन्होंने कहा कि द कश्मीर फाइल्स के रिलीज होने के बाद उन्हें चरमपंथियों, अलगाववादियों, मीडिया, राजनीतिक दलों समेत विभिन्न वर्गों ने ऑनलाइन और पर्सनली दोनों तरह से परेशान किया।
विवेक ने कहा, "मेरे खिलाफ खुले फतवे और धमकियां जारी की गई हैं। एक्टर्स, कट्टरपंथी धार्मिक निकायों से लेकर अदालत तक ने मुझे कई कानूनी नोटिस दिए हैं। एक इशारे पर कम्युनल फैक्ट चेकर्स और उनके सहयोगियों ने मेरे परिवार (खासकर मेरी छोटी बेटी) को खुलेआम धमकाया और गाली दी। यह मेरी हकीकत है और यह सब पब्लिक डोमेन में है।”
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