Ukraine War SIPRI: यूक्रेन युद्ध और चीन का खतरा, दुनिया में अब तक के सर्वोच्‍च शिखर पर सैन्‍य खर्च, भारत कहां खड़ा

रूस और यूक्रेन युद्ध ने दुनिया में डर का माहौल बना दिया है। इससे न केवल यूक्रेन बल्कि रूस से सटे अन्‍य यूरोपीय देश सेना पर जमकर खर्च कर रहे हैं। साल 2022 में दुनियाभर में सेना पर 2.24 ट्रिलियन डॉलर खर्च किया गया। यही नहीं चीन के साथ तनाव के कारण भारत और जापान ने भी खर्च बढ़ाया।
Ukraine war and threat of China, military expenditure at the highest peak ever in the world, where does India stand
Ukraine war and threat of China, military expenditure at the highest peak ever in the world, where does India stand24/04/2023

 दुनिया में साल 2022 में सैन्‍य खर्च अपने सर्वोच्‍च शिखर पर पहुंच गया है। स्‍टॉकहोम की संस्‍था सिप्री की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक रूस के यूक्रेन पर हमले ने पूरे यूरोप में सेना पर खर्च को बहुत ज्‍यादा बढ़ा दिया है। सिप्री ने बताया कि साल 2022 में दुनिया में 2.24 ट्रिलियन डॉलर सेना पर खर्च किया गया जो अब तक का रेकॉर्ड है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लगातार आठवां साल है जब पूरी दुनिया में सैन्‍य खर्च बढ़ा है। यूरोप में तो यह 13 प्रतिशत तक बढ़ गया जो कम से कम 30 साल में सबसे ज्‍यादा तेजी है। वहीं चीन के साथ तनाव के बीच भारत ने भी अभी अपने सैन्‍य खर्च में साल 2022 में 6 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है।

सिप्री ने कहा कि ये खर्च में जो बढ़ोत्‍तरी आई है, वह रूस और यूक्रेन युद्ध की वजह से है लेकिन रूसी खतरे को देखते हुए दुनिया के अन्‍य देशों ने भी अपने सैन्‍य खर्च को बढ़ा दिया है। सिप्री के वरिष्‍ठ शोधकर्ता नान तिआन ने कहा, 'दुनियाभर में हाल के दिनों में सैन्‍य खर्च लगातार बढ़ना इस बात का संकेत है कि हम लगातार एक असुरक्षित विश्‍व में जी रहे हैं। दुनिया के देश अपने सैन्‍य खर्च को बढ़ा रहे हैं ताकि लगातार खराब हो रहे सैन्‍य माहौल का जवाब दिया जा सके और इन देशों का मानना है कि यह निकट भविष्‍य में सुधरने नहीं जा रहा है।'

फिनलैंड ने सैन्‍य खर्च को 36 फीसदी तक बढ़ाया


रूस ने साल 2014 में यूक्रेन के क्रीमिया पर कब्‍जा कर लिया था और फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमला बोल दिया था। यह युद्ध अभी भी जारी है। रूस के इस कदम से उसके पड़ोसी देश या सोवियत संघ का हिस्‍सा रह चुके देश टेंशन में आ गए हैं। फिनलैंड ने तो अपने सैन्‍य खर्च को 36 फीसदी तक बढ़ा दिया है। वहीं लिथुआनिया ने अपने सैन्‍य खर्च को 27 प्रतिशत बढ़ाया है। इस साल अप्रैल महीने में ही फिनलैंड नाटो का 31वां सदस्‍य देश बना है जिसकी 1,340 किमी सीमा रूस से लगती है।

स्‍वीडन ने करीब 200 साल तक किसी भी सैन्‍य गठबंधन से दूरी बनाए रखी लेकिन अब वह नाटो में शामिल होना चाहता है। सिप्री के शोधकर्ताओं ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को लेकर भले ही खर्च बढ़ा हो लेकिन इसकी शुरुआत साल 2014 से ही हो गई थी। रूस के क्रीमिया पर हमले के बाद यूरोप के पूर्वी ब्‍लॉक के कई देशों ने अपने सैन्‍य खर्च को दोगुना कर दिया है। वहीं यूक्रेन में सेना पर खर्च 6 गुना बढ़कर 44 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह यूक्रेन की कुल जीडीपी का 34 प्रतिशत है।

चीन के खिलाफ खड़े हुए भारत और जापान


अमेरिका अभी भी दुनिया में सबसे ज्‍यादा सेना पर खर्च करने वाला देश है। अमेरिका का रक्षा बजट साल 2022 में 877 अरब डॉलर रहा जो दुनिया में होने वाले कुल सैन्‍य खर्च का 39 प्रतिशत है। अमेरिका ने साल 2022 में करीब 20 अरब डॉलर की सैन्‍य मदद यूक्रेन को दी है। चीन दूसरा सबसे ज्‍यादा खर्च करने वाला देश है। चीन का सैन्‍य बजट 292 अरब डॉलर रहा जो साल 2021 के मुकाबले 4.2 प्रतिशत ज्‍यादा रहा।

चीन ने लगातार 28वें साल अपने सैन्‍य बजट को बढ़ाया है। चीन के दादागिरी का सामना कर रहे भारत का रक्षा बजट अब 81.4 अरब डॉलर पहुंच गया है जो पिछले साल के मुकाबले 5.9 प्रतिशत ज्‍यादा है। वहीं जापान ने भी चीन और उत्‍तर कोरिया से निपटने के लिए अपने रक्षा बजट को 46 अरब डॉलर तक कर दिया है। साल 1960 के बाद यह जापान का सबसे ज्‍यादा रक्षा बजट है। रक्षा खर्च के मामले में सऊदी अरब पांचवें नंबर पर है जो करीब 75 अरब डॉलर है।

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