
चीन हिंद महासागर से सटे बर्फीले अंटार्कटिका महाद्वीप में विशाल अड्डा बना रहा है। अमेरिकी थिंक टैंक सीएसआईएस ने सैटलाइट तस्वीरों के आधार पर इसका खुलासा किया है।
अंटार्कटिका में माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तापमान रहता है और इस वीरान जगह पर चीन का यह पांचवां शोध केंद्र है। चीन ने इसका निर्माण कार्य 2018 में शुरू किया था जो अब तेज हुआ।
चीन इस नए अड्डे की मदद से अंटार्कटिका में अपने वैज्ञानिक शोध को बढ़ा सकेगा। यही नहीं सीएसआईएस का कहना है कि इसके जरिए चीन बड़े पैमाने पर जासूसी कर सकता है।
अंटार्कटिका में चीन अकेले ही अपनी उपस्थिति नहीं बढ़ा रहा है। यहां पर अमेरिका, ब्रिटेन औद दक्षिण कोरिया भी अपना शोध केंद्र चलाते हैं। लेकिन चीन को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही।
दरअसल, चीन रोस समुद्र के पास जिस तरह से अपने अड्डे का निर्माण कार्य कर रहा है, उससे वह वैज्ञानिक और जासूसी दोनों ही तरह की गतिविधियों को आसानी से अंजाम दे सकता है।
चीन ने यह निर्माण कार्य ऐसे समय पर तेज किया है जब अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ उसका तनाव अपने चरम पर है। इस नए अड्डे से पूरे महाद्वीप पर उसका खाली दायरा भर जाएगा।
चीन इसके जरिए अमेरिका के सहयोगी देशों ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड को भेजे जाने वाले खुफिया सिग्नल को पकड़ लेगा। यही नहीं चीन दोनों ही देशों के उपग्रहों पर भी नजर रख सकेगा।
चीन का यह जासूसी अड्डा जब पूरा हो जाएगा तो यह 5000 वर्ग मीटर में फैला होगा। इसमें वैज्ञानिक शोध, ऊर्जा सुविधा केंद्र, मुख्य बिल्डिंग, बर्फ तोड़ने वाले जहाज और निगरानी इलाका होगा।
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