'टाइगर' बनकर लड़े हिंदुस्तानी सैनिक, गुम हुई विश्‍वयुद्ध की वो कुर्बानी

प्रथम विश्‍वयुद्ध में करीब 13 लाख ब्रिटिश भारतीय सैनिकों ने हिस्‍सा लिया था। इस महाजंग में 74 हजार भारतीय सैनिकों ने अपने जान की कुर्बानी दी थी। कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता शशि थरूर का मानना है कि इतिहास में इन भारतीयों की कुर्बानी को ज्‍यादातर भुला दिया गया है। इन्‍हीं में से एक कहानी ऑस्‍ट्रेलियन इंपीरियल फोर्स की है। ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान प्रथम विश्‍वयुद्ध में 15 से 16 हजार भारतीय सैनिकों ने हिस्‍सा लिया था।
Indian soldiers fought as 'Tiger', lost the sacrifice of World War
Indian soldiers fought as 'Tiger', lost the sacrifice of World War 24/04/2023

टाइगर' बनकर लड़े हिंदुस्तानी सैनिक, गुम हुई विश्‍वयुद्ध की वो कुर्बानी

प्रथम विश्‍वयुद्ध के दौरान तुर्की ये सटे गल्लिपोली में 16 हजार भारतीय सैनिकों ने ब्रिटिश सेना की ओर से हिस्‍सा लिया था। इन सैनिकों में हिंदू, सिख, मुस्लिम और ईसाई शामिल थे।

टाइगर की तरह से लड़े भारतीय

इस युद्ध में शामिल रहे चाली बेहेरेन्‍डट कहते हैं, 'भारतीयों ने इस युद्ध टाइगर की तरह से लड़ा और ब्रिटिश साम्राज्‍य के लिए महान यूनिट साबित हुए।' भारतीयों ने कई जगहों पर भीषण जंग लड़ी।

​कौन थे ऑस्‍ट्रेलियाई भाारतीय नैन सिंह​

गल्लिपोली की इस जंग में भारतीय मूल के ऑस्‍ट्रेलियाई सैनिक नैन सिंह सैलानी और सर्न सिंह ने पहली कुर्बानी दी। शिमला में जन्‍मे नैन सिंह 22 साल की उम्र में वर्ष 1895 में ऑस्‍ट्रेलिया में चले गए थे।

​ऑस्‍ट्रेलियन इंपीरियल फोर्स में हुए शामिल​

नैन सिंह मजदूर थे और फरवरी 1916 में ऑस्‍ट्रेलियन इंपीरियल फोर्स में शामिल हुए थे। सैलानी उस समय 43 साल के थे। वह जुलाई 1916 में 44वीं बटालियन के लिए इंग्‍लैंड पहुंचे थे।

​कौन थे सर्न सिंह​

बेल्जियम में ही नैन सिंह को अन्‍य ब्रिटिश सैनिकों के संग पूरे सम्‍मान के साथ दफना दिया गया। वहीं सर्न सिंह भारत के जलंधर से ऑस्‍ट्रेलिया पहुंचे थे ताकि किसान के रूप में काम कर सकें।

जर्मन सैनिकों से लिया लोहा​

सर्न सिंह 38 साल की उम्र में ऑस्‍ट्रेलियन इंपीरियल फोर्स में शामिल हुए और अगस्‍त 1916 में 43वीं बटालियन में शामिल होने इंग्‍लैंड पहुंचे। 10 जून 1917 को जर्मन हमले के दौरान मारे गए।

भारतीयों के साहस पर आई किताब​

ऑस्‍ट्रेलियाई इतिहासकार पीटर स्‍टानले ने भारतीय सैनिकों के साहस पर किताब लिखी है। वह कहते हैं कि भाषा, संस्‍कृति और धर्म के अलग होने पर भी भारतीय और ऑस्‍ट्रेलियाई सैनिकों ने मिलकर युद्ध लड़ा।

गल्लिपोली में शहीद हुए 1400 भारतीय​

इतिहासकारों का मानना है कि गल्लिपोली की जंग में 1400 भारतीय मारे गए थे और 3500 लोग घायल हो गए थे। भारतीय सैनिकों के इस अद्भुत साहस से ज्‍यादातर भारतीय अंजान हैं।

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