अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है जिसे सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए —क्यों पूरा पढ़िए

अति दुर्लभ एक ग्रंथ ऐसा भी है जिसे सात आश्चर्यों में से पहला आश्चर्य माना जाना चाहिए —क्यों पूरा पढ़िए

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यह है दक्षिण भारत का एक ग्रन्थ

क्या ऐसा संभव है कि जब आप किताब को सीधा पढ़े तो राम कथा के रूप में पढ़ी जाती है और जब उसी किताब में लिखे शब्दों को उल्टा करके पढ़े तो कृष्ण कथा के रूप में होती है ।

कवि का परिचय : इस अद्भुत रचना के रचने वाले श्री वेंकटाध्वरि का जन्म कांचीपुरम के एक गांव अरसनीपलै में हुआ था। इन्होंने कुल 14 रचनाएं लिखी हैं जिनमें से "राघवयादवीयम्" और "लक्ष्मीसहस्त्रम्" सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। वेंकटाध्वरि श्री वेदांत देशिक के शिष्य थे जिन्होंने इनको शास्त्रों की शिक्षा दी। वेदांत देशिक ने ही श्री रामनुजमाचार्य द्वारा स्थापित रामानुज सम्प्रदाय को वेडगलई गुट के द्वारा आगे बढ़ाया
बचपन में ही दृष्टि दोष से बाधित होने के बावजूद वे मेधावी वकुशाग्र बुद्धि के धनी थे। उन्होंने वेदान्त देशिक का, जिन्हें वेंकटनाथ (1269–1370) के नाम से भी जाना जाता है तथा जिनकी "पादुका सहस्रम्" नामक रचना चित्रकाव्य की अनुपम् भेंट है, अनुयायी बन काव्यशास्त्र में महारत हासिल कर 14 ग्रन्थों की रचना की, जिनमें 'लक्ष्मीसहस्रम्' सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। ऐसा कहते हैं कि इस ग्रंथ की रचना पूर्ण होते ही उनकी दृष्टि उन्हें वापस प्राप्त हो गयी थी।

ग्रंथ की खासियत : दरअसल, इस ग्रंथ को यदि आप सीधा पढ़ते हैं तो राम कथा पढ़ी जाएगी और यदि इसे उल्टा पढ़ते हैं तो श्रीकृष्ण कथा पढ़ी जाएगी। इस तरह से इस ग्रंथ को लिखा सचमुच बहुत ही रोचक, अद्भुत, आश्चर्य, दुष्कर और दुर्लभ है।

जी हां, कांचीपुरम के 17वीं शदी के कवि वेंकटाध्वरि रचित ग्रन्थ "राघवयादवीयम्" ऐसा ही एक अद्भुत ग्रन्थ है।

इस ग्रन्थ को
'अनुलोम-विलोम काव्य' भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल 30 श्लोक हैं। इन श्लोकों को सीधे-सीधे पढ़ते जाएँ, तो रामकथा बनती है और
विपरीत (उल्टा) क्रम में पढ़ने पर कृष्णकथा। इस प्रकार हैं तो केवल 30 श्लोक, लेकिन कृष्णकथा (उल्टे यानी विलोम)के भी 30 श्लोक जोड़ लिए जाएँ तो बनते हैं 60 श्लोक।

पुस्तक के नाम से भी यह प्रदर्शित होता है, राघव (राम) + यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है ~ "राघवयादवीयम।"

उदाहरण के तौर पर पुस्तक का पहला श्लोक हैः

वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

अर्थातः
मैं उन भगवान श्रीराम के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो जिनके ह्रदय में सीताजी रहती है तथा जिन्होंने अपनी पत्नी सीता के लिए सहयाद्री की पहाड़ियों से होते हुए लंका जाकर रावण का वध किया तथा वनवास पूरा कर अयोध्या वापिस लौटे।

अब इस श्लोक का विलोमम्: इस प्रकार है

सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥

अर्थातः
मैं रूक्मिणी तथा गोपियों के पूज्य भगवान श्रीकृष्ण के चरणों में प्रणाम करता हूं, जो सदा ही मां लक्ष्मी के साथ विराजमान है तथा जिनकी शोभा समस्त जवाहरातों की शोभा हर लेती है।

" राघवयादवीयम" के ये 60 संस्कृत श्लोक इस प्रकार हैं:-

राघवयादवीयम् रामस्तोत्राणि
वंदेऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।
रामो रामाधीराप्यागो लीलामारायोध्ये वासे ॥ १॥

विलोमम्:
सेवाध्येयो रामालाली गोप्याराधी भारामोराः ।
यस्साभालंकारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ॥ १॥

साकेताख्या ज्यायामासीद्याविप्रादीप्तार्याधारा ।
पूराजीतादेवाद्याविश्वासाग्र्यासावाशारावा ॥ २॥

विलोमम्:
वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।
राधार्यप्ता दीप्राविद्यासीमायाज्याख्याताकेसा ॥ २॥

कामभारस्स्थलसारश्रीसौधासौघनवापिका ।
सारसारवपीनासरागाकारसुभूरुभूः ॥ ३॥

विलोमम्:
भूरिभूसुरकागारासनापीवरसारसा ।
कापिवानघसौधासौ श्रीरसालस्थभामका ॥ ३॥

रामधामसमानेनमागोरोधनमासताम् ।
नामहामक्षररसं ताराभास्तु न वेद या ॥ ४॥

विलोमम्:
यादवेनस्तुभारातासंररक्षमहामनाः ।
तां समानधरोगोमाननेमासमधामराः ॥ ४॥

यन् गाधेयो योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्येसौ ।
तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमानामाश्रीहाता त्रातम् ॥ ५॥

विलोमम्:
तं त्राताहाश्रीमानामाभीतं स्फीत्तं शीतं ख्यातं ।
सौख्ये सौम्येसौ नेता वै गीरागीयो योधेगायन् ॥ ५॥

मारमं सुकुमाराभं रसाजापनृताश्रितं ।
काविरामदलापागोसमावामतरानते ॥ ६॥

विलोमम्:
तेन रातमवामास गोपालादमराविका ।
तं श्रितानृपजासारंभ रामाकुसुमं रमा ॥ ६॥

रामनामा सदा खेदभावे दया-वानतापीनतेजारिपावनते ।
कादिमोदासहातास्वभासारसा-मेसुगोरेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥

विलोमम्:
मेरुभूजेत्रगाकाणुरेगोसुमे-सारसा भास्वताहासदामोदिका ।
तेन वा पारिजातेन पीता नवायादवे भादखेदासमानामरा ॥ ७॥

सारसासमधाताक्षिभूम्नाधामसु सीतया ।
साध्वसाविहरेमेक्षेम्यरमासुरसारहा ॥ ८॥

विलोमम्:
हारसारसुमारम्यक्षेमेरेहविसाध्वसा ।
यातसीसुमधाम्नाभूक्षिताधामससारसा ॥ ८॥

सागसाभरतायेभमाभातामन्युमत्तया ।
सात्रमध्यमयातापेपोतायाधिगतारसा ॥ ९॥

विलोमम्:
सारतागधियातापोपेतायामध्यमत्रसा ।
यात्तमन्युमताभामा भयेतारभसागसा ॥ ९॥

तानवादपकोमाभारामेकाननदाससा ।
यालतावृद्धसेवाकाकैकेयीमहदाहह ॥ १०॥

विलोमम्:
हहदाहमयीकेकैकावासेद्ध्वृतालया ।
सासदाननकामेराभामाकोपदवानता ॥ १०॥

वरमानदसत्यासह्रीतपित्रादरादहो ।
भास्वरस्थिरधीरोपहारोरावनगाम्यसौ ॥ ११॥

विलोमम्:
सौम्यगानवरारोहापरोधीरस्स्थिरस्वभाः ।
होदरादत्रापितह्रीसत्यासदनमारवा ॥ ११॥

यानयानघधीतादा रसायास्तनयादवे ।
सागताहिवियाताह्रीसतापानकिलोनभा ॥ १२॥

विलोमम्:
भानलोकिनपातासह्रीतायाविहितागसा ।
वेदयानस्तयासारदाताधीघनयानया ॥ १२॥

रागिराधुतिगर्वादारदाहोमहसाहह ।
यानगातभरद्वाजमायासीदमगाहिनः ॥ १३॥

विलोमम्:
नोहिगामदसीयामाजद्वारभतगानया ।
हह साहमहोदारदार्वागतिधुरागिरा ॥ १३॥

यातुराजिदभाभारं द्यां वमारुतगन्धगम् ।
सोगमारपदं यक्षतुंगाभोनघयात्रया ॥ १४॥

विलोमम्:
यात्रयाघनभोगातुं क्षयदं परमागसः ।
गन्धगंतरुमावद्यं रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥

दण्डकां प्रदमोराजाल्याहतामयकारिहा ।
ससमानवतानेनोभोग्याभोनतदासन ॥ १५॥

विलोमम्:
नसदातनभोग्याभो नोनेतावनमास सः ।
हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डदम् ॥ १५॥

सोरमारदनज्ञानोवेदेराकण्ठकुंभजम् ।
तं द्रुसारपटोनागानानादोषविराधहा ॥ १६॥

विलोमम्:
हाधराविषदोनानागानाटोपरसाद्रुतम् ।
जम्भकुण्ठकरादेवेनोज्ञानदरमारसः ॥ १६॥

सागमाकरपाताहाकंकेनावनतोहिसः ।
न समानर्दमारामालंकाराजस्वसा रतम् ॥ १७ विलोमम्:
तं रसास्वजराकालंमारामार्दनमासन ।
सहितोनवनाकेकं हातापारकमागसा ॥ १७॥

तां स गोरमदोश्रीदो विग्रामसदरोतत ।
वैरमासपलाहारा विनासा रविवंशके ॥ १८॥

विलोमम्:
केशवं विरसानाविराहालापसमारवैः ।
ततरोदसमग्राविदोश्रीदोमरगोसताम् ॥ १८॥

गोद्युगोमस्वमायोभूदश्रीगखरसेनया ।
सहसाहवधारोविकलोराजदरातिहा ॥ १९॥

विलोमम्:
हातिरादजरालोकविरोधावहसाहस ।
यानसेरखगश्रीद भूयोमास्वमगोद्युगः ॥ १९॥

हतपापचयेहेयो लंकेशोयमसारधीः ।
राजिराविरतेरापोहाहाहंग्रहमारघः ॥ २०॥

विलोमम्:
घोरमाहग्रहंहाहापोरातेरविराजिराः ।
धीरसामयशोकेलं यो हेये च पपात ह ॥ २०॥

ताटकेयलवादेनोहारीहारिगिरासमः ।

हासहायजनासीतानाप्तेनादमनाभुवि ॥ २१॥

विलोमम्:
विभुनामदनाप्तेनातासीनाजयहासहा ।
ससरागिरिहारीहानोदेवालयकेटता ॥ २१॥

भारमाकुदशाकेनाशराधीकुहकेनहा ।
चारुधीवनपालोक्या वैदेहीमह

There is also a very rare book which should be considered as the first wonder among the seven wonders – why read in full

This is a book from South India

Introduction of the poet: Sri Venkatadwari, the author of this wonderful composition, was born in Arsanipalai, a village in Kanchipuram. He has written a total of 14 compositions, out of which "Raghavayadaviyam" and "Lakshmisahastram" are the most famous. Venkatadvari was the disciple of Sri Vedanta Deshik who taught him the scriptures. Vedanta Deshik carried forward the Ramanuja sect established by Sri Ramanujamacharya through the Vedgalai faction.
Despite being hampered by vision defect in his childhood, he was rich in meritorious and sharp intellect. He became a follower of Vedanta Deshik, also known as Venkatanatha (1269–1370) and whose composition "Paduka Sahasram" is a unique gift of Chitrakavya, mastered poetry and composed 14 texts, including 'Lakshmi Sahasram'. is most important. It is said that as soon as the composition of this book was completed, he got his vision back.

Specialty of the book: Actually, if you read this book directly then Ram Katha will be read and if you read it in reverse then Shri Krishna Katha will be read. Written in this way, this book is really very interesting, wonderful, surprising, difficult and rare.

Is it possible that when you read the book directly, it is read as Ram Katha and when you read the words written in the same book in reverse?
So Krishna is in the form of a story.

Yes, one such wonderful book is "Raghavayadaviyam" composed by the 17th century poet Venkatadvari of Kanchipuram.

to this text
It is also called 'Anulom-Vilom poetry'. There are only 30 verses in the entire book. these verses directly
If you keep reading, then the story of Ram is made and
Krishna Katha when read in reverse order. In this way, only 30 verses are there, but if 30 verses of Krishna Katha (inverted i.e. the inverse) are added, then 60 verses are formed.

This is also reflected in the name of the book, the saga narrating the character of Raghava (Rama) + Yadav (Krishna) ~ "Raghavayadaviyam."

For example, the first verse of the book is:

Vandeleham devam tan sreetam rantaram kalam bhasa yah.
Ramo ramadhirapyago lilamarayodhye vase 1॥

ie:
I bow at the feet of Lord Shri Ram, who
In whose heart Sita resides and who went to Lanka through the Sahyadri hills for his wife Sita and killed Ravana and returned to Ayodhya after completing his exile.

Now the antonym of this verse is as follows

Sevadhyyo Ramalali Gopyaradhi Bharamora.
yasabhalankaram taram tan sreetam vandelam devam 1॥

ie:
I am the worshiper of Rukmini and the Gopis, Lord Krishna.
I bow at the feet, who is always with mother Lakshmi
He is seated and whose beauty takes away the splendor of all jewels.

These 60 Sanskrit shlokas of "Raghavayadaviyam" are as follows:-

Raghavayadaviyam Ramastotrani
Vandeleham devam tan sreetam rantaram kalam bhasa yah.
Ramo ramadhirapyago lilamarayodhye vase 1॥

Antonym:
Sevadhyyo Ramalali Gopyaradhi Bharamora.
yasabhalankaram taram tan sreetam vandelam devam 1॥

Saketakhya Jyamasidyavipradiptaryadhara.
Poorajitadevadyavishwasagryasavasharava 2॥

Antonym:
Varashavasagrya sashwavidyavadetajirapuh.
Radharyapta Dipravidyaseemaayajayakhetakesa. 2॥

WorkplaceSrreeSaudhasaughanvapika.
sarasaravpinasaragakarsubhurubhu 3

Antonym:
Bhuribhusurkagarasanapivarsarsa.
Kapivanaghsoudhasau Srirasalasthabhamka. 3

Ramdhamsamanenmagorodhanamastam.
Namahamaksharasan Tarabhastu neither Veda or Om 4

Antonym:
yadavenstubharatasanrakshamahamanaah.
Tam samanadharogomanemasamdhamara: 4

Yan gadheyo yogi ragi vaitane soumye saukhyesau.
Tan khyatam sheetam spitam bhimanamashrihata tratam 5

Antonym:
Tan tratahashrimanamabhitam sfitam sheetam khayatam.
Soukhye Soumesou leader Vai Giragio Yodhegayan 5

Maram Sukumarabham Rasajapanritashritam.
Kaviramdalapagosamavamatranate 6

Antonym:
Ten Ratamvamas Gopaladamaravika.
Tām rtanrpajasarambha ramakusumam rama. 6

Ramnama is always sorry, mercy-vantapeentejaripaavanate.
Kadimodasahatasvabhasarsa-mesugorenukagatraje bhurume 7

Antonym:
Merubhujetragakanuregosume-sarsa bhasvatahasadamodika.
Ten Va Parijaten Peeta Navayadve Bhadkhedasmanamara. 7

Sarasasamdhatakshibhumnadhamsu Sitaya.
Sadhvasaviremekshemyramasurasaraha. 8

Antonym:
Harasarasumaramyakshemerehavisadhwasa.
Yatsisumdhamnabhukshitadhamsasarsa 8

Sagasabharataye bhamabhatamanyumattaya.
Satra Madhyamayatapepotayadhigatarsa 9॥

Antonym:
Saratagadhiyatapopetaya Madhyamatrasa.
Yattamanyumatabhama Bhayetarabhasagasa. 9॥

Tanavadpakomabharamekanandasa.
Old age service kakaikeyi mahdah 10

Antonym:
Hahdahmayeeke Kaikavase dvrutalaya.
Sasdanankamerabhamakopadavanata 10

Vermanadsatyasahrit Pitradaraho.
Bhaswarasthiradhiropaharoravanagamyasou. 11

Antonym:
Soumyaganavararoharporohirasthirasvabhaah.
Hodradtrapithrisatyasadanamarva 11

Yanayanaghdhitada Rasayastanayadave.
Sagatahiviyataahrisatapankilonbha 12

Antonym:
Bhanlokinpatasahritayavihitagasa.
Vedayanastyasardatadhighanayanaya 12

Ragiradhutigarvadardahomahsahah.
Yangatbhardwajmayasidamgahin: 13

Antonym:
Nohigamadsiamajdwarabhatganaya.
Hah sahamhodarvagatidhuragira 13

Yaturajidbhabharam diya vamarutagandhagam.
Sogmarpadam yakshatungabhonghayatraya 14॥

Antonym:
Yatrayaghanbhogatum kshayadam paramagasah.
gandhagantrumavadyam rambhabhadjira tu ya 14॥

Dandakan Pradmorajalayahtamaykariha.
sammanvatanenobhogyabhontdasana 15

Antonym:
Nasadatanbhogyabho nonetavanmas sah.
Harikayamatahalyajaramodaprakandadam. 15

SoormardanGyanovederaKanthakumbhajam.
Tan Drusarapatonagananadoshaviradhaha 16॥

Antonym:
Hadhravishadonanaganatoparasadrutam.
Jambhakunthakaradevenojnandarmarasah 16॥

Sagmakarpatahakankenavantohisah.
Na samardamaramalankarajaswasa ratam 17 Antonyms:
Tan Rasaswajarakalammarardanamasana.
Shitonvnakekan Hataparcommagsa. 17॥

Tams goramdoshrido vigramasdarot.
Vairamaspalahara Vinasa of Ravivansh. 18॥

Antonym:
Keshav Virasanavirahalapasmarvaih.
Tatrodasamgravidoshreedomargosatam 18॥

Godyugomasvamayobhudsrigkharsenaya.
Sahasahavdharoviklorajdaratiha 19॥

Antonym:
HatiradjrallokoppositeVahaha.
Yanserkhagashrid Bhuyomasvamagodyuga: 19॥

Hatpachayeheyo lankeshoyamsaradhi.
Rajiravirterapohahahangrahamarghah 20॥

Antonym:
Ghormahgrahanhahaporateravirajiraah.
Dheerasamayashokelyanyo hey there are chappatis. 20॥

Tatkeylvadenohariharigirisamah.

HasahayajanaSitanaptenadamanabhuvi 21॥

Antonym:
Vibhunamadanaptenatasinajyahsaha.
Sasragiriharihanodevalayketa 21॥

Bharmakudshakenasaradhikuhkenha.
Charudhivanpalokya Vaidehimah

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