केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक विशेष अदालत ने हत्या के कथित प्रयास से संबंधित 1989 के एक मामले में रिलायंस इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) को गवाह के रूप में बुलाने की अर्जी सोमवार को खारिज कर दी है. यह मामला 33 साल पहले का है. आरोपियों में से एक इवान सिकेरा ने पिछले साल सीबीआई अदालत का रुख कर मुकेश अंबानी (Mukesh Ambani) से गवाह के रूप में पूछताछ करने का अनुरोध किया था.
इस मामले की जांच कर रही केंद्रीय एजेंसी ने अर्जी का विरोध किया था. विशेष सीबीआई (CBI) अदालत के न्यायाधीश एस पी नाइक निंबालकर ने बचाव और अभियोजन पक्ष दोनों की दलीलें सुनने के बाद सिकेरा की अर्जी खारिज कर दी है. विस्तृत आदेश अभी उपलब्ध नहीं है. हालांकि, एक वकील के अनुसार, अदालत ने इस आधार पर अर्जी को खारिज कर दिया कि आरोपी के पास यह तय करने का अधिकार नहीं है कि अभियोजन पक्ष को गवाह के रूप में किसे तलब करना चाहिए.
इससे पहले केंद्रीय जांच एजेंसी ने अदालत को दिए अपने जवाब में कहा था कि आरोपी को मामले में आगे की जांच की मांग करने का कोई अधिकार नहीं है और उसकी अर्जी को खारिज कर दिया जाना चाहिए. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी कीर्ति अंबानी इस मामले में मुख्य आरोपी थे. मुकदमे के दौरान कीर्ति की मृत्यु हो गई.
कारोबारी प्रतिद्वंद्विता के कारण बॉम्बे डाइंग के पूर्व अध्यक्ष वाडिया को मारने की साजिश रचने के आरोप में 31 जुलाई, 1989 को कीर्ति की मौत के बाद मुकेश अंबानी और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी. महाराष्ट्र सरकार ने 2 अगस्त, 1989 को जांच सीबीआई को सौंप दी, लेकिन मुकदमा 2003 में शुरू हुआ था.
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